मई 2012 में दुनियाभर के नेताओं ने तय किया कि नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज की वजह से होने वाली मौतों को 2025 तक घटाकर 25% पर लाना है। इसमें भी आधी मौतें सिर्फ दिल के रोगों की वजह से होती है। ऐसे में वर्ल्ड हार्ट डे को मान्यता मिली और हर साल यह 29 सितंबर को मनाया जाने लगा।
इस कैम्पेन के जरिए वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन सभी देशों और पृष्ठभूमि के लोगों को साथ लाता है और कार्डियोवैस्कुलर रोगों से लड़ने के लिए जागरूकता फैलाने का काम करता है। दुनियाभर में दिल के रोग नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज में सबसे ज्यादा घातक साबित हुए हैं।
हर साल करीब दो करोड़ लोगों की मौत दिल के रोगों की वजह से हो रही है। इसे अब लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी माना जाता है, जिससे अपनी लाइफस्टाइल को सुधारकर बचा जा सकता है। हाल ही के दिनों में यह देखने में आया है कि हार्ट डिजीज का शिकार युवा भी हो रहे हैं।